नई दिल्ली : समुद्र में भारत की सामरिक ताकत में जबर्दस्त इजाफा होने वाला है। रक्षा मंत्रालय ने पनडुब्बियों के डिजाइन एवं उत्पादन में भारत को वैश्विक केंद्र बनाने के लिए देश में ही इसके निर्माण को मंजूरी दी है। रक्षा मंत्रालय की जानकारी के अनुसार भारतीय नौसेना ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत छह पी-75(आई) पनडुब्बियों के निर्माण के लिए रणनीतिक भागीदारों को छांटने के लिए टेंडर जारी किया है। इन पनडुब्बियों के निर्माण पर 45 हजार करोड़ रुपये लागत आएगी। रक्षा मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को संभावित रणनीतिक भागीदारों को छांटने के लिए कॉन्ट्रैक्ट जारी किया है।
सामरिक निर्माण क्षमता को मिलेगा बढ़ावा
नौसेना के अधिकारी ने बताया कि इन पनडुब्बियों का निर्माण स्वदेशी तकनीक के द्वारा किया जाएगा ताकि स्वदेशी डिजाइनों को विकसित किया जा सके। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से देश की सामरिक निर्माण क्षमता को भी बढ़ाया जा सकेगा। साथ ही परियोजना के हिस्से के तौर पर पनडुब्बी का आधुनिक डिजाइन एवं प्रौद्योगिकी हासिल होगी।
डिजाइन एवं उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनेगा भारत
नौसेना ने कहा कि मूल उपकरण विनिर्माताओं के चयन के लिए दो सप्ताह में एक परिपत्र जारी किए जाएंगे जो रक्षा मंत्रालय और भारतीय नौसेना की वेबसाइट पर उपलब्ध होगी। इस परिपत्र में बताया गया है कि रणनीतिक भागीदारों को मूल उपकरण विनिर्माताओं के साथ मिलकर देश में इन पनडुब्बियों के निर्माण का संयंत्र लगाने को कहा गया है। रक्षा मंत्रालय के इस फैसले का मकसद देश को पनडुब्बियों के डिजाइन एवं उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना है।
डिजाइन एवं प्रौद्योगिकी हासिल किया जाएगा
मालूम हो कि भारत और रूस ने परमाणु पनडुब्बी के लिए 3 बिलियन डॉलर का समझौता किया है। इसके तहत परियोजना के हिस्से के तौर पर पनडुब्बी का आधुनिक डिजाइन एवं प्रौद्योगिकी हासिल किया जाएगा। इससे पहले रक्षा खरीद परिषद ने इसे 31 जनवरी को मंजूरी दी थी। इस विषय में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि संभावित रणनीतिक भागीदार, इस परिपत्र पर दो महीने में अपनी प्रतिक्रिया देंगे।
गौरतलब है कि पिछले 50 दशकों में भारतीय नौसेना की पनडुब्बी शाखा ने अपना पराक्रम बरकरार रखा है। उसने साल 1971 के भारत पाक युद्ध और ऑपरेशन पराक्रम के समय अपने बल पर दुश्मन को हिलने तक का मौका नहीं दिया था।