अफगानिस्तान के विदेश मंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) में पढ़े शेर मोहम्मद अब्बास स्टानीकजई ने आंतकी समूहों लश्कर और जैश को बड़ा झटका दिया है। शेरू के नाम से चर्चित शेर मोहम्मद ने कहा कि तालिबान भारत और पाकिस्तान में से किसी का पक्ष नहीं लेगा। उन्होंने कहा कि तालिबान भारत के साथ अच्छे रिश्ते बनाना चाहता है। शेर मोहम्मद ने कहा कि तालिबान लश्कर या जैश आतंकियों को अफगान जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होने देंगे।
दरअल अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनाने की तैयारी में है। इसका शीर्ष नेतृत्व कौन है, सरकार में कौन शामिल होगा, इस बात को लेकर दुनिया भर में खूब चर्चा हो रही है। तालिबान की कमान हिबतुल्लाह अखुंदजादा के हाथों में है। मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के राष्ट्रपति बनने की चर्चा के बीच मुल्ला मोहम्मद याकूब, सिराजुद्दीन हक्कानी, और शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई के भी सरकार में शामिल होने की संभावना है। आपको जानकार हैरानी होगी कि तालिबान के शीर्ष नेतृत्व में शामिल बेहद कट्टर नेता स्टानिकजई का भारत से भी संबंध रहा है।
कहा-दुनिया के साथ अच्छे रिश्ते बनाना चाहते हैं
एक साक्षात्कार में शेर मोहम्मद ने भारत के साथ संबंधों पर कहा, 'हमारी विदेश नीति सभी पड़ोसी देशों और दुनिया के साथ अच्छे रिश्ते बनाना है। हम अमेरिका और नाटो के साथ भी बढ़िया संबंध बनाना चाहते हैं। हम भारत के साथ सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्ते बरकरार रखना चाहते हैं।' यह पूछे जाने पर कि तालिबान पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के खिलाफ शत्रुतापूर्ण व्यवहार करेगा, ऐसी लोगों में आशंका है, इस पर शेर मोहम्मद ने कहा, 'जो मीडिया में आता है, वह अक्सर गलत होता है। हमारी तरफ से ऐसा कोई बयान या संकेत नहीं आया है।
भारत-पाक को दी चेतावनी
अफगानिस्तान के लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकियों का गढ़ बनने के सवाल पर शेर मोहम्मद ने दावा किया, 'हमारे पूरे इतिहास में अफगानिस्तान से भारत समेत किसी भी पड़ोसी देश को कोई खतरा नहीं रहा है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से राजनीतिक और भौगोलिक विवाद रहा है। हमें आशा है कि भारत और पाकिस्तान अपनी आपसी लड़ाई में अफगानिस्तान का इस्तेमाल नहीं करेंगे। भारत-पाकिस्तान की आपस में लगती सीमा है, दोनों देश अपनी लड़ाई वहां लड़ सकते हैं। उन्हें अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और हम किसी देश को ऐसा करने की अनुमति नहीं देंगे।'
भारत में जुड़ी यादें की शेयर
भारत में प्रशिक्षण से जुड़ी यादों पर शेरू ने कहा, 'मैं अपने युवावस्था में वहां गया था जब रूसी सेना अफगानिस्तान आई थी। मुझे IMA में प्रशिक्षण दिया गया था और वहां से स्नातक किया था। अब मेरा भारत में किसी के साथ कोई संपर्क नहीं है।' अफगानिस्तान में हिंदुओं और सिखों को निकाले जाने के लिए मदद के सवाल पर शेरू ने कहा कि उन्हें देश को छोड़कर जाने की जरूरत नहीं है। अफगानिस्तान हिंदुओं और सिखों का घर है और उनका देश है। ये लोग शांतिपूर्ण तरीके से रह सकते हैं।
कौन है शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई
तालिबान के प्रमुख चेहरों में से एक शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई अमेरिका के साथ हुए शांति समझौते में भी शामिल रहा था। वह बेहद कट्टर धार्मिक नेता है। तालिबान की सरकार में उप मंत्री पद पर रहा चुका है। वह पिछले एक दशक से दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय में रह रहा है। 2015 में उसे तालिबान के राजनीतिक कार्यालय का प्रमुख बनाया गया था। उसने कई देशों की राजनयिक यात्राओं पर तालिबान का प्रतिनिधित्व किया है।
शेर मोहम्मद का भारत से क्या है संबंध ?
शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) के 1982 बैच में रह चुका है। यहां सहपाठी उन्हें 'शेरू' कह कर बुलाते थे। जब वह IMA) में भगत बटालियन की केरेन कंपनी में शामिल हुआ था तब वह 20 साल का होने वाला था। उसके साथ 44 अन्य विदेशी कैडेट भी इस बटालियान का हिस्सा थे।