वाराणसी ज्ञानवापी मस्जिद केस: ASI सर्वे में क्या करती है? कौन करता है निगरानी?
ज्ञानवापी परिसर के सर्वे को लेकर एएसआई की टीम वाराणसी पहुंच चुकी है। टीम ने कमिश्नर के साथ बैठक कर विचार-विमर्श किया। वहीं, सर्वे के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है।
हाइलाइट्स
वाराणसी कमिश्नर के साथ एएसआई टीम ने की बैठक
21 जुलाई को कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे का आदेश दिया था|
4 अगस्त को कोर्ट में एएसआई को देनी है रिपोर्ट
वाराणसी:
ज्ञानवापी मस्जिद का एएसआई सर्वे (ASI Gyanvapi Masjid Survey ) कराने का आदेश वाराणसी कोर्ट दे चुकी है। विवादित हिस्से यानी वजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर का सर्वे कराने की अनुमति कोर्ट ने दी है। सोमवार सुबह सात बजे से एएसआई की टीम ज्ञानवापी परिसर का सर्वे करेगी।
ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराए जाने को लेकर हिंदू पक्ष की चार वादिनी रेखा पाठक, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और सीता साहू की ओर से कोर्ट में 16 मई को प्रार्थना पत्र दिया गया था, जिसमें वजूखाने को छोड़कर बाकी परिसर का एएसआई से सर्वे कराए जाने की मांग की गई थी। 14 जुलाई को कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई थी। 21 जुलाई को वाराणसी कोर्ट ने सर्वे कराए जाने का आदेश दिया था। सर्वे के आदेश पर हिंदू पक्ष ने खुशी जताई थी और कहा था कि सर्वे में स्पष्ट हो जाएगा कि ज्ञानवापी की वास्तविकता क्या है।
रविवार को एएसआई की टीम वाराणसी पहुंच गई है और कमिश्नर के साथ टीम बैठक की। सोमवार सुबह सात बजे से एएसआई की टीम ज्ञानवापी परिसर का सर्वे करेगी। एएसआई को चार अगस्त तक सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में देनी है। वहीं, मुस्लिम पक्ष की ओर से सर्वे के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी, जिस पर सोमवार को कोर्ट सुनवाई करेगी।
जानिए सबकुछ एएसआई के बारे में जानिए:
एएसआई का पूरा नाम 'भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण' (Archaeological Survey of India) है। संस्कृति मंत्रालय के अधीन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासतों के पुरातत्वीय अनुसंधान और संरक्षण के लिए एक प्रमुख संगठन है। इसकी स्थापना वर्ष 1861 में हुई थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का प्रमुख कार्य राष्ट्रीय महत्व के प्राचीन स्मारकों और पुरातत्वीय स्थलों और अवशेषों का रखरखाव करना है। इसके अलावा प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार यह देश में सभी पुरातत्वीय गतिविधियों को रेगुलेट करता है। यह पुरावशेष और बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972 को भी रेगुलेट करता है। राष्ट्रीय महत्व के प्राचीन स्मारकों और अवशेषों के रखरखाव के लिए पूरे देश को 24 मंडलों में विभाजित किया गया है।
कैसे होता है सर्वे:
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की पुरानी इमारतों और खंडहरों के सर्वे में ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करती है। इस टैक्नीक के जरिए सर्वे क्षेत्र के अतीत का गहराई से अध्ययन किया जाता है। ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में भी इसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने बताया है कि मस्जिद का सर्वे ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और मॉडर्न टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से किया जाएगा। इसके अलावा एएसआई की एक टीम अध्ययन क्षेत्र में आगे-पीछे सीधी रेखाओं में चलती। जैसे-जैसे वे चलते हैं, वे अतीत की मानवीय गतिविधियों के साक्ष्य की तलाश करते हैं। जिसमें दीवारें या नींव, कलाकृतियां, या मिट्टी में रंग परिवर्तन शामिल हैं जो सुविधाओं का संकेत दे सकते हैं। एक शोधकर्ता या टीम सतह पर कलाकृतियां या अन्य पुरातात्विक संकेतकों की तलाश में लक्ष्य क्षेत्र के माध्यम से धीरे-धीरे चलती है, टीम उस समय के पर्यावरण के पहलुओं को रिकॉर्ड करती है। सर्वे की टीम उन सभी साक्ष्यों को सहेजकर एक फाइनल रिपोर्ट तैयार करती है।
कौन रखता है सर्वे पर नजर
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का कार्यालय संस्कृति मंत्रालय के अधीन है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम जब किसी ऐतिहासिक इमारत या खंडहर का सर्वे करती है, तो उस पर संस्कृति मंत्रालय की नजर रहती है। कुछ मामलों में जब सर्वे कोर्ट के आदेश पर किया जाता है, तो कोर्ट भी सर्वे के पल-पल की रिपोर्ट की मॉनिटरिंग करता है। ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे भी कोर्ट के आदेश पर एएसआई को सौंपा गया है।
क्या है मामला:
अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज के सामने एक वाद दायर किया था। इसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी। महिलाओं की याचिका पर जज ने मस्जिद परिसर का एडवोकेट सर्वे कराने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश पर पिछली साल तीन दिन तक सर्वे हुआ था। सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया था। दावा था कि मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग है। हालांकि मुस्लिम पक्ष का कहना था कि वो शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है जो हर मस्जिद में होता है। इस मामले की सुनवाई कोर्ट में पूरी हो गई थी। जिला जज ने ऑर्डर रिजर्व कर लिया था। 16 मई 2023 को चारों वादी महिलाओं की तरफ से हिंदू पक्ष ने एक प्रार्थनापत्र दिया था, जिसमें मांग की गई थी कि ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर की एएसआई से जांच कराई जाए। इसी याचिका पर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इजाजत दे दी है।
4 अगस्त को जिला जज को सौंपी जाएगी रिपोर्ट:
हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि न्यायालय ने एएसआई सर्वे का आदेश दे दिया है। विष्णु शंकर जैन ने कहा कि आवेदन मंजूर कर लिया गया है और अदालत ने वजू टैंक को छोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है। एएसआई सर्वे की रिपोर्ट जिला जज को 4 अगस्त को देगा। मुस्लिम पक्ष ने सर्वे का विरोध किया था। लेकिन, कोर्ट ने सभी दलीलों को सुनकर सर्वे की अनुमति दे दी है। वाराणसी जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया है।