गुजरात दंगे मामले में तीस्ता सीतलवाड़ Teesta Setalvad को जमानत,SC ने हाई कोर्ट का आदेश रद्द किया

Teesta Setalvad: सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है, साथ ही कहा है कि वह किसी गवाह को प्रभावित नहीं करेंगी.

गुजरात दंगे मामले में तीस्ता सीतलवाड़ Teesta Setalvad को जमानत,SC ने हाई कोर्ट का आदेश रद्द किया

Teesta Setalvad Bail: 

मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को बुधवार 19 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने उनके खिलाफ मामले में उन्हें नियमित जमानत दे दी है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सीतलवाड के मामले में गवाहों को प्रभावित करने की कोई कोशिश नहीं की जानी चाहिए और सभी को उनसे दूरी बनाए रखनी चाहिए।


तीस्ता सीतलवाड काफी समय से इस मामले के सुलझने का इंतजार कर रही थीं। आख़िरकार, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसने उनकी नियमित जमानत रद्द कर दी थी और उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था।

तीस्ता सीतलवाड़ पर क्या है आरोप?


सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ पर साल 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े मामलों में 'निर्दोष लोगों' को फंसाने के लिए फर्जी सबूत गढ़ने का आरोप है.


सीतलवाड़ा पर IPC के सेक्शन 468 (धोखे देने की नीयत दस्तावेजों से छेड़छाड़) और सेक्शन 194 (फर्जी सबूत गढ़ना) के तहत मामला दर्ज है.


तीस्ता सीतलवाड़ पर विदेश से आए पैसे के दुरुपयोग और धोखाधड़ी का भी आरोप है.


तीस्ता सीतलवाड पर गुजरात दंगों के मामले में मनगढ़ंत हलफनामा दाखिल करने का आरोप लगाया गया है। 1 जुलाई को हाई कोर्ट ने उनकी जमानत रद्द कर दी थी और सरेंडर करने को कहा था। जानकारी के लिए आपको बता दें कि 25 जून 2022 को गुजरात पुलिस ने तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ्तार कर लिया था। 2 सितंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी थी, जिससे उन्हें नियमित जमानत के लिए निचली अदालत या गुजरात उच्च न्यायालय में जाने की अनुमति मिल गई।


गौरतलब है कि तीस्ता सीतलवाड़ पर गुजरात दंगे के मामले में फर्जी हलफनामा दाखिल करने अदालती कार्यवाही को प्रभावित करने के आरोप लगा है. एक जुलाई को हाईकोर्ट ने तीस्ता की जमानत को रद्द कर दिया था और उसे सरेंडर करने को कहा था. गुजरात हाईकोर्ट ने एक जुलाई को तीस्ता सीतलवाड़ से शीघ्र सरेंडर करने को कहा गया था. शीर्ष अदालत ने इस दिन रोक लगा दी. इसके बाद आज उन्हें राहत दे दी गई।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट के इस हालिया फैसले से तीस्ता सीतलवाड़ को राहत मिली है, जो काफी समय से कानूनी कार्यवाही में उलझी हुई थीं। यह देखना बाकी है कि मामला कैसे आगे बढ़ता है और इस फैसले का उसकी कानूनी लड़ाई पर क्या प्रभाव पड़ेगा। फैसले पर निस्संदेह जनता और कानूनी विशेषज्ञों द्वारा बारीकी से नजर रखी जाएगी, क्योंकि यह एक प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता से संबंधित है जिसका काम प्रशंसा और विवाद दोनों का विषय रहा है।


सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, "अगर (गुजरात हाई कोर्ट के) जानकार जज की टिप्पणी को स्वीकार किया जाए, तो जमानत के लिए कोई भी आवेदन तब तक स्वीकार नहीं किया जा सकता जब तक कि आरोपी कार्यवाही को रद्द करने के लिए आवेदन दायर नहीं करता... कम से कम कहें तो, यह निष्कर्ष पूरी तरह से विकृत हैं|


दूसरी ओर, जानकार जज ने कुछ गवाहों के बयानों पर चर्चा किया और पाया कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है. यह निष्कर्ष पूरी तरह से विरोधाभासी हैं."


सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें उनकी नियमित जमानत खारिज कर दी गई थी और उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया था. तीस्ता सीतलवाड़ पर गुजरात दंगा मामले में फर्जी हलफनामा दाखिल कर अदालती कार्यवाही को प्रभावित करने का है आरोप है.

इससे पहले क्या हुआ?

शनिवार, 1 जुलाई को देर शाम हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के जज, जस्टिस बीआर गवई, एएस बोपन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने सीतलवाड़ को अंतरिम राहत दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने 5 जुलाई को सीतलवाड़ को दी गई अंतरिम राहत 19 जुलाई तक बढ़ा दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने बताया क्यों दी जानी चाहिए जमानत

1 जुलाई को गुजरात हाई कोर्ट ने तीस्ता की नियमित जमानत रद्द कर उनसे सरेंडर के लिए कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने उसी दिन इस पर रोक लगा दी थी और अब बुधवार को उन्हें नियमित जमानत दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चूंकि चार्जशीट दायर की जा चुकी है और उनकी (सीतलवाड़) हिरासत में पूछताछ पूरी हो चुकी है, इसलिए उन्हें जमानत दी जानी चाहिए|


सुप्रीम कोर्ट की बेच ने कहा कि सीतलवाड़ को 2 सितंबर, 2022 से लगातार जमानत पर माना जाएगा. साथ ही कहा कि वह किसी भी गवाह को प्रभावित नहीं करेंगी. कोर्ट ने कहा कि अगर वह ऐसा (गवाह को प्रभावित) करती हैं तो अभियोजन पक्ष जमानत रद्द करने के लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट जा सकता है|

पिछले साल हुई थी गिरफ्तारी

25 जून, 2022 को गुजरात पुलिस ने तीस्ता को गिरफ्तार किया था. 2 सितंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता को नियमित जमानत के लिए निचली अदालत या गुजरात हाई कोर्ट जाने को कहा था. वहीं, गुजरात हाई कोर्ट ने पुलिस की तरफ से पेश सबूतों को देखते हुए तीस्ता को नियमित जमानत देने से मना कर दिया था. पुलिस ने बताया था कि तीस्ता ने तत्कालीन राज्य सरकार को अस्थिर करने के लिए कोर्ट में बनावटी सबूत पेश किए और गवाहों के भी झूठे हलफनामे दाखिल करवाए.

नियमित जमानत से इनकार कर दिया

आपको बता दें कि 25 जून, 2022 को गुजरात पुलिस ने तीस्ता की गिरफ्तारी की थी. बाद में 2 सितंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दी. इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता को नियमित जमानत को लेकर निचली अदालत या गुजरात हाईकोर्ट जाने को कहा गया. इसके बाद गुजरात हाईकोर्ट ने पुलिस की ओर से पेश सबूतों के आधार पर तीस्ता को नियमित जमानत से इनकार कर दिया. पुलिस के अनुसार तीस्ता तत्कालीन राज्य सरकार के खिलाफ बनावटी सूबत रखे. वह उसे स्थिर करना चाहती थीं. आरोप है कि गवाहों से झूठे हलफनामे भी दाखिल कराए गए.

गुजरात हाई कोर्ट द्वारा नियमित जमानत याचिका खारिज करने और उन्हें "तुरंत सरेंडर करने" का आदेश देने के बाद सीतलवाड़ ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.